जब भी किसी भिखारी को देखें… एक पल के लिए रुकिए
बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग भारत की सबसे खतरनाक और छिपी हुई हकीकतों में से एक है।जब भी आप सड़क पर किसी भिखारी को देखते हैं, क्या आप कभी रुके हैं एक पल को? क्या आपने कभी सोचा है कि जिस छोटे बच्चे को आप अपनी गाड़ी की खिड़की से देखते हैं, वो वहां क्यों है?
क्या आपने कभी उस महिला को देखा है जो मंदिर के सामने बैठकर भीख मांगती है, फिर वही महिला मस्जिद के बाहर बुर्का पहन कर भीख मांगती है?
ये सिर्फ इत्तेफाक नहीं है। ये है भारत का सबसे खतरनाक और डरावना सच – “भीख मंगवाने वाला गैंग”।बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग सिर्फ पैसे के लिए मासूमों की जिंदगी बर्बाद कर देता है।
आंध्र प्रदेश में बच्चों को किराए पर लिया जाता है – जी हां, छोटे-छोटे मासूम बच्चों को सिर्फ ₹300 प्रति दिन पर।
उनके शरीर में नींद की गोलियां दी जाती हैं ताकि वे रोएं नहीं, बस एक गुड़िया की तरह शांत पड़े रहें।
चेन्नई में पकड़े गए रैकेट में महिलाओं को पहले भगवा कपड़े पहनाकर मंदिरों के सामने बैठाया जाता था, फिर वही महिलाएं थोड़ी देर बाद मुस्लिम बुर्का पहनकर मस्जिदों के बाहर भीख मांगती थीं।
क्या बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग सच में भारत में मौजूद है? ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। ये एक हाईली ऑर्गेनाइज्ड, क्रिमिनल नेटवर्क है — भीख मंगवाने वाला गैंग, जो बच्चों, महिलाओं और बेसहारा लोगों को एक बिजनेस की तरह ऑपरेट करता है।
अब बात सिर्फ सुनकर दुखी होने की नहीं है… यह सब असलियत में हो रहा है।
और यह दर्दनाक हकीकत जो मैं आपको आगे बताने जा रहा हूँ, सुरेश मांझी की अनकही सच्चाई – वह आपको झकझोर देगी।
सुरेश मांझी की दर्दनाक हकीकत, जो भीख मंगवाने वाला गैंग की सबसे खौफनाक सच्चाई सामने लाती है।
जब इंसान को जानबूझकर अंधा किया गया – सुरेश मांझी की दर्दनाक हकीकत
साल 2022 की बात है।
बिहार का एक सीधा-सादा मज़दूर — सुरेश मांझी, रोज़ी-रोटी की तलाश में कानपुर आया था।
सोचा था कि दो वक्त की रोटी जुटाने लायक कोई काम मिल जाएगा।
लेकिन उसे क्या पता था, उसकी ज़िंदगी एक ऐसा मोड़ ले लेगी, जिसकी कल्पना भी कोई इंसान नहीं करना चाहेगा।
सुरेश यशोदा नगर के स्लम इलाके में रह रहा था।
एक दिन उसकी मुलाकात विजय नाम के एक आदमी से हुई।
विजय ने सुरेश से कहा — “काम दिला दूंगा, बस कल झकरकट्टी ब्रिज के नीचे आ जाना।”
सुरेश पहुंच गया…
लेकिन जैसे ही वो वहां पहुंचा — पीछे से किसी ने उसका मुंह दबाया, काला कपड़ा डाला और उसे अगवा कर लिया।
👁️ इसके बाद जो हुआ, वो किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था।
- सुरेश को नशीली दवाएं देकर बेहोश किया गया।
- उसकी आंखों में एक खतरनाक केमिकल इंजेक्ट किया गया, जिससे वो हमेशा के लिए अंधा हो गया।
- उसके दोनों हाथों की सभी उंगलियां काट दी गईं।
- शरीर पर कई जगह जबरदस्ती के जख्म दिए गए।
क्यों?
ताकि वो दिखने में “पर्फेक्ट भिखारी” लगे।
कुछ दिन बाद उसे ₹10000 में एक महिला को बेच दिया गया।
फिर उसे गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली लाया गया और वहां भीख मांगने के लिए छोड़ दिया गया।
अब ज़रा सोचिए…
सुरेश जैसे भिखारियों को सिर्फ 2 सूखी रोटियां दी जाती थीं — ताकि वो पतले दिखें और लोगों को उन पर दया आए।
हर दिन उन पर केमिकल्स इंजेक्ट किए जाते थे।
कभी नशा, कभी दर्द, कभी कुछ और।
जैसे-जैसे वक्त गुज़रता गया, सुरेश का शरीर जवाब देने लगा।
उसे इन्फेक्शन हो गया। इतना कि अब वो भीख मांगने लायक भी नहीं बचा।
💰 अब वो “कमाई” नहीं कर रहा था, तो बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग ने कहा — “इसे बदलो”
उसे वापस कानपुर भेज दिया गया।
लेकिन वहां भी सुबह से शाम तक चौराहों पर खड़ा कर दिया गया — बिना ब्रेक।
और जो पैसा वो भीख में इकट्ठा करता, सब बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग किडनैपर्स ले जाते।
जब उसकी हालत बिल्कुल खराब हो गई — उसे सड़क पर फेंक दिया गया।
किसी कचरे की तरह।
किसी तरह वो अपने गांव पहुंचा।
लेकिन उसकी हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि परिवार वालों ने भी उसे पहचानने से मना कर दिया।

❗ यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है।
यह हकीकत है। सुरेश मांझी नाम का एक इंसान आज भी इस दर्द को झेल रहा है।
ये घटना सामने आई क्योंकि एक लोकल विधायक ने हिम्मत दिखाई, केस दर्ज कराया, और मीडिया में बात पहुंची।
लेकिन जो बात सबसे डरावनी है…
वो यह कि सुरेश अकेला नहीं है।
भारत के भीख मांगने वाले लोगों की सच्चाई और बेगर माफिया का पूरा नेटवर्क कैसे काम करता है।
💔 कैसे काम करता है बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग?
अब जब आपने सुरेश मांझी की दर्दनाक कहानी पढ़ी…
तो आपके मन में ये सवाल ज़रूर आया होगा —
क्या हर भिखारी किसी गैंग का हिस्सा होता है?
क्या वाकई भीख मांगना “पैसे कमाने” का धंधा बन चुका है?
तो चलिए एक-एक करके सारे परतें खोलते हैं…
📊 भारत में कितने भिखारी हैं?
भारत के कई हिस्सों में बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग खुलेआम काम कर रहा है
2011 की जनगणना (Census) के अनुसार —
भारत में 4 लाख से ज़्यादा भिखारी हैं।
और चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से:
- 21% भिखारी 12वीं पास हैं।
- 3000 से ज़्यादा भिखारी तो ऐसे हैं जिनके पास डिप्लोमा या डिग्री है!
अब सोचिए… डिग्री लेकर भी कोई भीख क्यों मांगेगा?
क्योंकि मजबूरी बहुत बड़ी होती है।
और यही मजबूरी इनको बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग माफिया के जाल में फंसा देती है।
🧠 क्यों मांगते हैं लोग भीख?
2021 में दिल्ली सरकार और Institute for Human Development की एक रिपोर्ट ने साफ बताया कि:
❗ दो वजहें हैं:
- मजबूरी
- चॉइस (इच्छा)
👉 मजबूरी में भीख मांगने वालों की संख्या सबसे ज़्यादा है:
- 62% लोग — गरीबी की वजह से
- 45% — बेरोज़गारी
- 24% — उम्र, बीमारी या विकलांगता
- 6% महिलाएं — विधवा होने के कारण
- 3% — नशे की लत
👉 वहीं कुछ लोग ‘चॉइस’ से भी मांगते हैं:
- 12% — इसे आसान पैसा (easy money) मानते हैं
- 7% — आदत बन चुकी होती है
- 6% — परिवार में यही चलता आ रहा है
- 3% — धार्मिक मान्यता के कारण
💸 भिखारी एक दिन में कितना कमाते हैं?
सोशल मीडिया पर बहुत भ्रम फैला हुआ है कि “भिखारी 1000-2000 रुपये कमा लेते हैं रोज़”।
लेकिन हकीकत क्या कहती है?
रिपोर्ट कहती है:
- 32% भिखारी रोज़ ₹100 से भी कम कमाते हैं
- 33% — ₹100 से ₹200
- 22% — ₹200 से ₹400
- सिर्फ 1% ही हैं जो ₹400 से ज़्यादा कमा पाते हैं
मतलब —
“जो सोचते हैं कि भीख मांगना लखपति बनने का रास्ता है, उन्हें ज़रा हकीकत देखनी चाहिए।”
😔 और जो कमा भी लेते हैं, वो खुद के पास नहीं रहता
इनमें से बहुत से भिखारी माफिया के कंट्रोल में हैं।
जो भी पैसे ये इकट्ठा करते हैं, बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग रात को गैंग लीडर्स ले जाते हैं।
इन्हें केवल रहने लायक खाना, कभी-कभी दवा, और रोज़ का टारगेट दिया जाता है।
👶 बच्चे सबसे आसान शिकार बनते हैं
इस तरह का बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग बच्चों के भविष्य को निगल रहा है।
भारत में हर साल 60,000 बच्चे गायब होते हैं।
इनमें से कई बच्चों को जबरन या धोखे से भीख मंगवाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग ये माफिया क्या करते हैं?
- बच्चों को किडनैप करते हैं
- गरीब परिवारों से “काम दिलाने” के नाम पर बच्चों को ले जाते हैं
- कुछ मामलों में तो ₹300-₹500 प्रतिदिन रेंट पर बच्चे लिए जाते हैं
- बच्चों को स्लीपिंग पिल्स, ओपीयम या कफ सिरप दी जाती है ताकि वो शांत रहें
कई बार बच्चे जानबूझकर गंदे, भूखे और चोटिल रखे जाते हैं — ताकि उन्हें देख कर लोगों को ज़्यादा दया आए।
🏙️ और ये पूरा नेटवर्क कैसे चलता है?
भिखारियों का पूरा “टेरिटोरियल सिस्टम” होता है —
मतलब कौन सा भिखारी कहां बैठेगा, किस मंदिर के बाहर, किस सिग्नल पर, ये तय होता है।
कुछ जगह तो हर हफ्ते पुलिस और म्युनिसिपल अफसरों को पैसा भी दिया जाता है, ताकि कोई रोक-टोक न करे।
बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग गैंग्स त्योहारों और धार्मिक आयोजनों का भी प्लान बनाते हैं —
“आज मंदिर में भारी भीड़ होगी, उधर चलो।”
🤯 चेन्नई का एक केस…
महिलाओं को हिंदू सैफ्रन कपड़े पहनाकर मंदिरों के बाहर बैठाया जाता था।
उन्हीं महिलाओं को बाद में बुर्का पहनाकर मस्जिदों के बाहर भीख मंगवाने भेजा जाता था।
क्यों?
ताकि हर धर्म के लोगों से “भावनात्मक सहानुभूति” लेकर पैसा वसूला जा सके।
सरकार क्या कर रही है? और हम क्या कर सकते हैं?
⚖️ जब सरकारें सब कुछ देखकर भी अनजान बन जाती हैं…
सवाल ये है कि…
इतना बड़ा रैकेट, इतना दर्द, इतना संगठित माफिया —
तो फिर सरकारें क्या कर रही हैं?
चलिए आपको बताता हूँ कि देश की सरकारों ने अब तक क्या किया — और क्या नहीं किया।
🧾 सबसे पहला कानून – 1959
आज़ादी के बाद जब भीख मांगना बढ़ा, तो सरकार ने 1959 में एक कड़ा कानून लाया:
Bombay Prevention of Begging Act, 1959
इस कानून के तहत:
- कोई भी व्यक्ति अगर भीख मांगता हुआ पकड़ा गया,
👉 उसे 10 साल तक जेल हो सकती थी। - और उसे जबरन किसी सरकारी संस्थान (rehabilitation centre) में बिना उसकी मर्ज़ी के रखा जा सकता था।
अब सोचिए:
माफिया तो खुले घूम रहे थे…
लेकिन सज़ा मिल रही थी सिर्फ उस गरीब को — जो मजबूरी में भीख मांग रहा था।
पुलिस और सरकारों को बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।”
🧑⚖️ फिर कोर्ट ने क्या कहा?
2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस कानून के कुछ हिस्सों को असंवैधानिक (Unconstitutional) बताया।
कोर्ट का कहना था:
“लोग मस्ती में भीख नहीं मांगते।
वे मजबूरी में करते हैं, जब और कोई रास्ता नहीं बचता।”
और सरकार का काम है लोगों को basic सुविधाएं देना।
अगर कोई भिखारी सड़क पर दिखता है, तो ये सरकार की नाकामी है — उस इंसान की नहीं।
“बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए यूनिसेफ लगातार काम कर रहा है, 📌जैसा कि उनकी वेबसाइट पर बताया गया है।”
⚠️ लेकिन ध्यान दीजिए —
आज भी महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में
भीख मांगना अपराध है।
दिल्ली में भले यह अपराध नहीं हो,
पर बहुत सारे राज्य अब भी उसी पुराने 1959 वाले कानून को मानते हैं।
और आपको जानकर हैरानी होगी —
केंद्र सरकार ने आज तक भीख मांगने पर कोई सीधा कानून नहीं बनाया है।
👶 बच्चों के लिए एक कानून है
हाँ, एक कानून है —
Juvenile Justice Act, 2015
इसके तहत:
अगर कोई बच्चे से जबरदस्ती भीख मंगवाता है,
तो वह गैर-कानूनी (illegal) है।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल सैकड़ों बच्चों की तस्करी होती है।👉 स्रोत देखें।”
लेकिन यह कानून भी तभी चलता है जब कोई रिपोर्ट करे, कोई पकड़ में आए।
🌍 बड़े इवेंट, और भिखारियों को छिपा दिया जाता है
क्या आपने गौर किया है?
जब भी कोई इंटरनेशनल इवेंट होता है,
सरकार भिखारियों की मदद नहीं करती,
बल्कि उन्हें छिपा देती है।
उदाहरण:
- 2023 G20 समिट, दिल्ली —
भिखारियों को पकड़कर अस्थायी शेल्टर होम्स में भर दिया गया, ताकि विदेशी मेहमान उन्हें न देखें। - 2017 हैदराबाद, जब Ivanka Trump आईं —
पूरा शहर साफ़ कर दिया गया, और भिखारियों पर टेम्पररी बैन लगा। - 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स, दिल्ली —
भिखारियों को ट्रकों में भरकर शहर से बाहर भेज दिया गया,
कहा गया: “गेम्स खत्म होने तक वापस मत आना।”
यानि…
“समस्या का हल नहीं, बस पर्दा डाल दिया जाता है।”
🛠️ क्या सॉल्यूशन है?
असल सॉल्यूशन कोई जादू नहीं,
बल्कि इंसानियत से भरा प्लान है:
✅ Step 1: भिखारियों को रेस्क्यू करना
- जो भी जबरन या मजबूरी में भीख मांग रहे हैं, उन्हें बचाया जाए।
✅ Step 2: शेल्टर होम्स में भेजना
- इन्हें rehabilitation centres में रखा जाए —
जहां इन्हें खाना, दवा, मनोवैज्ञानिक मदद और सुरक्षा मिले।
✅ Step 3: ट्रेनिंग देना
- इन्हें skill training, basic education दी जाए
ताकि वो खुद का काम कर सकें।
❌ लेकिन Implementation फेल है
दिल्ली सरकार ने लामपुर गांव में एक ऐसा ही सेंटर बनाया था:
5 घर, 70 कमरे, 10,500 लोगों की कैपेसिटी…
लेकिन हकीकत?
- 2010 में — सिर्फ 200 लोगों को भेजा गया
- 2014 — सिर्फ 60 लोग
- 2016 — 1
- 2017 के बाद — कोई नहीं
अब आप खुद सोचिए —
क्योंकि सिस्टम में नीयत नहीं है, इसलिए बदलाव भी नहीं है।
🤝 तो हम क्या कर सकते हैं?
अब बात आती है आप और हम जैसे आम लोगों की।
क्या हम सिर्फ देखते रहें?
बिलकुल नहीं।
आप बहुत कुछ कर सकते हैं —
🙏 सबसे पहले — पैसे न दें
हाँ, ये बात कड़वी है —
लेकिन जरूरी है।
क्यों?
क्योंकि पता नहीं कौन मजबूरी में है और कौन बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग माफिया का मोहरा।
अगर आपने पैसे दिए — और वो माफिया के पास गए —
तो आप अनजाने में उस गैंग को मज़बूत कर रहे हैं।
🍽️ तो करें क्या?
✔️ खाना दीजिए
अगर किसी को भूख लगी है — खाना दे सकते हैं।
✔️ कपड़े / दवा दीजिए
जो चीज़ें सीधे उनके काम आएं — वह दीजिए।
✔️ बात करिए
अगर समय हो तो बात कीजिए। नाम पूछिए। उनकी ज़िंदगी समझिए।
💸 अगर पैसे देने ही हैं —
तो NGOs को दीजिए जो काम कर रहे हैं:
जैसे:
- Teach for India — गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए
- Goonj — कपड़े, राहत और मदद
- Save the Children — बच्चा मजदूरी और ट्रैफिकिंग से बचाने के लिए
- Aashray Adhikar Abhiyan — शेल्टर होम्स और बेघर लोगों के लिए
🕵️ कुछ दिखे तो रिपोर्ट करें
अगर आपको दिखे कि: बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग
- कोई बच्चा बहुत छोटे उम्र में अकेला भीख मांग रहा है
- एक जैसे कपड़े, चोट, या नशे के हालत में कई बच्चे हैं
- कोई आदमी लगातार कई भिखारियों से पैसे इकट्ठा कर रहा है
तो तुरंत पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित करें:
📞 1098 – Childline India
🧠 और सबसे ज़रूरी बात:
जब तक बच्चों से जबरन भीख मंगवाने वाला गैंग जैसे अपराधों पर लगाम नहीं लगेगी, तब तक समाज की आत्मा अधूरी रहेगी।
“हर भिखारी माफिया का हिस्सा नहीं होता,
और हर माफिया वाले भिखारी को पहचानना आपके लिए मुमकिन नहीं होता।”
इसलिए सतर्क रहिए।
इंसानियत बनाए रखिए।
पर आँखें बंद करके भी मदद मत कीजिए।
👉 “हमारे मुख्य पृष्ठ पर और जागरूकता भरे लेख पढ़ें।”
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